© Harish Jharia / © हरीश झारिया
हँसिया सैल एनीमिया ( Sickle Cell Anemia) सिकल सैल रोगोँ में एक आम बीमारी है। एनीमिया (Anemia) अर्थात खून की कमी की शिकायत जो अन्य कई कारणों से लोगों में होती है वह कुछ लोगों में केवल उनके रक्तकणों के हँसियानुमा आकार के कारण उत्पन्न हो जाया करती है। रक्तकणों का हँसिया जैसा आकार एक वंशानुगत जीन्स से सबधित समस्या है जो तमाम विश्व के कई देशों मे पाई जाती है। हँसिया सैल की समस्या सबसे अधिक आफ़्रिका के लगभग आधे से अधिक क्षेत्र में पाई जाती है। इसके अलावा यूरोप के कुछ देशों, उत्तरीय अरब तथा ईरान, अफ़्गानिस्तान, पाकिस्तान से लेकर भारत के मध्यवर्ती इलाकों तक इस रोग के रोगी पाए गए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों के अनुसार हँसिया सैल (Sickle Cell) रोग से ग्रसित लोगों में झारिया, मेहरा जाति के लोगों की संख्या सबसे अधिक है। झारिया बधुओं से आग्रह है कि इस लेख को ध्यान से पढ़ें ताकि अपने परिवारों में हँसिया सैल (Sickle Cell) की समस्या से ग्रसित व्यक्तियों का पता लगाया जा सके और उनके वर्तमान स्वास्थ्य और लंबे स्वस्थ जीवन के लिए उचित व्यवस्था की जा सके।
Normal Red Blood Cells and Sickle Cells (स्वाभाविक रक्तककण और हँसिया रक्तकण)
चित्र- A में स्वस्थ स्वाभाविक रक्तकण और रक्तवाहिनी में उनका सुगम प्रवाह दर्षाया गया है। जबकि चित्र- B में हंसिया रक्तकणों का आकार और रक्तवाहिनी में रक्त प्रवाह में रुकावट का चित्रण किया गया है।
हँसिया सैल (Sickle Cell) का क्या अर्थ है…?
हमारा रक्त लाल रक्त-कोशिकाओँ (red blood cells) से बना हुआ होता है। यही कारण है कि उसका रंग लाल होता है। यही लाल रक्त-कण हमारे फ़ेफ़ड़ों द्वारा खींची गई साँस से प्राणवायु (Oxygen) इकट्ठा करके खून के बहाव के साथ लेजाकर शरीर के कोने-कोने तक पहुँचाते हैं। प्राणवायु ( Oxygen ) ही हमारे शरीर को जीवित रखती है। यदि शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्राणवायु (Oxygen) नहीं मिल पाती है तो हम विभिन्न किस्म की बीमारियोँ के शिकार हो जाया करते हैं। अगर शरीर को प्राणवायु (Oxygen) मिलना बंद हो जाती है तो मृत्यु होना निश्चित है।
प्राणवायु (Oxygen) को इकट्ठा करके शरीर भर में पहुंचाने वाले रक्त कणों का प्राकृतिक आकार गोलाकार चकली (donuts) जैसा होता है। वह बिलकुल हमारे घरों में बनाई जाने वाली बाटियों (गाँकर या गकरियों) जैसा होता है, जिनमें प्राणवायु (Oxygen) के लिए भंडारण क्षमता पर्याप्त होती है। साथ ही अपनी गोलाकर बनावट के कारण स्वस्थ रक्तकणों को धमनियों और नसों के संकरे मोड़ों से प्रवाहित होने में आसानी होती है। (देखें चित्र- A)
परंतु इसके विपरीत हँसिया के आकार के रक्तकण एक तो पर्याप्त मात्रा में प्राणवायु ( Oxygen ) सोखने की क्षमता नहीं रखते और साथ ही अपने नुकीले और टेढ़े आकार के कारण वे धमनियों के सँकरे मोड़ों पर फ़ंस जाते हैं और रक्तप्रवाह में रुकावट डाल देते हैं (देखें चित्र- B)। इसके परिणाम स्वरूप शरीर के विशिष्ठ अंगों को पर्याप्त मात्रा में रक्त (blood) और प्राणवायु (Oxygen) नहीं मिल पाती और वे बीमार हो जाते हैं। यही एनीमिया (Anemia) की स्तिथि होती है।
हँसिया सैल एनिमीया (Sickle Cell Anemia)
आम एनिमीया की बीमारी में रोगी के रक्त में लाल रक्तकण कम हो जाते हैं। हंसिया सैल एनिमीया (Sickle Cell Anemia) में रक्तकणों की उतनी ही मात्रा के बावजूद, रक्त कोशिकाओं (blood cells) के सिकुड़े और पतले आकार के कारण, रक्त पर्याप्त मात्रा में प्राणवायु (Sickle Cell Anemia) नहीं सोख पाता पाता है। साथ ही जहाँ स्वाभाविक रक्तकण बोनमैरो (bone marrow) में पैदा होने के बाद 120 दिनों तक जीवित रहकर नष्ट होते हैं वहीं हँसिया सैल (sickle cells) का जीवन केवल 10 से 20 दिनों का ही होता है।
हँसिया सैल एनिमीया (Sickle Cell Anemia) एक अनुवांशिक रोग है जो माता-पिता से उनकी संतान को मिलता है। यह रोग जीवन पर्यन्त चलता है क्योंकि खून में वैसे ही रक्तकण अस्वाभाविक आकार के और कम सख्या में होते हैं और ऊपर से उनका जीवन भी 120 दिनों के स्थान पर 10-20 दिनों का ही होता है। बोनमैरो द्वारा रक्तकणों का उत्पादन भी एक सीमा से अधिक नहीं हो पाता. परिणाम स्वरूप रोगी के शरीर में रक्तकोशिकाओं की कमी हमेशा बनी रहती है; नतीजतन, एनिमीया का रोग भी बना रहता है।
देखभाल और इलाज:
सिकल सैल एनिमीया (Sickle Cell Anemia) का कोई सीधा-सीधा कारगर इलाज नहीं है; हालाँकि रोग के लक्षणों (symptoms) के आधार पर डाक्टर मरीज़ का इलाज करता है और उसकी तकलीफ़ों को कम कर सकता है। बोनमैरो ट्रांससप्लंट (bone-marrow transplant) के द्वारा हँसिया सेल वाला रक्त उत्पादन करने वाले बोन-मेरो के स्थान पर स्वस्थ बोनमैरो का प्रतिरोपण किया जाता है ताकि शरीर में स्वस्थ रक्तकणों का उत्पादन आरंभ हो। स्वास्थ्य विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति के परिणाम स्वरूप चिकित्सक की देख-रेख मे रोगी की तकलीफ़ें कम की जा सकती हैं और उसका जीवन अधिक सुविधाजनक और आराम्दायक बनाया जा सकता है। आधुनिक जगत में उच्चकोटि की चिकित्सा सुविधाओं की सहायता से प्रभावित व्यक्ति के लिए सुखदायी और लंबा जीवन जीना संभव हो गया है।
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Read more about Sickle Cell disease:
Disclaimer:
This article is written based on my personal observations and on the information collected from the media. My intention for publishing the same is to provide healthy reading and intellectual entertainment and not for educating the visitors. No literature or authentic books have been referred for writing the contents of this article. The visitors are advised not to refer the contents of this article for any research or testimony on athletic or legal purposes. The visitors are further advised to consult relevant experts before adapting any information from this article. The author or the website are not responsible for any errors, mistakes, or omissions there in.
- Harish Jharia
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हँसिया सैल एनीमिया ( Sickle Cell Anemia) सिकल सैल रोगोँ में एक आम बीमारी है। एनीमिया (Anemia) अर्थात खून की कमी की शिकायत जो अन्य कई कारणों से लोगों में होती है वह कुछ लोगों में केवल उनके रक्तकणों के हँसियानुमा आकार के कारण उत्पन्न हो जाया करती है। रक्तकणों का हँसिया जैसा आकार एक वंशानुगत जीन्स से सबधित समस्या है जो तमाम विश्व के कई देशों मे पाई जाती है। हँसिया सैल की समस्या सबसे अधिक आफ़्रिका के लगभग आधे से अधिक क्षेत्र में पाई जाती है। इसके अलावा यूरोप के कुछ देशों, उत्तरीय अरब तथा ईरान, अफ़्गानिस्तान, पाकिस्तान से लेकर भारत के मध्यवर्ती इलाकों तक इस रोग के रोगी पाए गए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों के अनुसार हँसिया सैल (Sickle Cell) रोग से ग्रसित लोगों में झारिया, मेहरा जाति के लोगों की संख्या सबसे अधिक है। झारिया बधुओं से आग्रह है कि इस लेख को ध्यान से पढ़ें ताकि अपने परिवारों में हँसिया सैल (Sickle Cell) की समस्या से ग्रसित व्यक्तियों का पता लगाया जा सके और उनके वर्तमान स्वास्थ्य और लंबे स्वस्थ जीवन के लिए उचित व्यवस्था की जा सके।
Normal Red Blood Cells and Sickle Cells (स्वाभाविक रक्तककण और हँसिया रक्तकण)
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चित्र- A में स्वस्थ स्वाभाविक रक्तकण और रक्तवाहिनी में उनका सुगम प्रवाह दर्षाया गया है। जबकि चित्र- B में हंसिया रक्तकणों का आकार और रक्तवाहिनी में रक्त प्रवाह में रुकावट का चित्रण किया गया है।
हँसिया सैल (Sickle Cell) का क्या अर्थ है…?
हमारा रक्त लाल रक्त-कोशिकाओँ (red blood cells) से बना हुआ होता है। यही कारण है कि उसका रंग लाल होता है। यही लाल रक्त-कण हमारे फ़ेफ़ड़ों द्वारा खींची गई साँस से प्राणवायु (Oxygen) इकट्ठा करके खून के बहाव के साथ लेजाकर शरीर के कोने-कोने तक पहुँचाते हैं। प्राणवायु ( Oxygen ) ही हमारे शरीर को जीवित रखती है। यदि शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्राणवायु (Oxygen) नहीं मिल पाती है तो हम विभिन्न किस्म की बीमारियोँ के शिकार हो जाया करते हैं। अगर शरीर को प्राणवायु (Oxygen) मिलना बंद हो जाती है तो मृत्यु होना निश्चित है।
प्राणवायु (Oxygen) को इकट्ठा करके शरीर भर में पहुंचाने वाले रक्त कणों का प्राकृतिक आकार गोलाकार चकली (donuts) जैसा होता है। वह बिलकुल हमारे घरों में बनाई जाने वाली बाटियों (गाँकर या गकरियों) जैसा होता है, जिनमें प्राणवायु (Oxygen) के लिए भंडारण क्षमता पर्याप्त होती है। साथ ही अपनी गोलाकर बनावट के कारण स्वस्थ रक्तकणों को धमनियों और नसों के संकरे मोड़ों से प्रवाहित होने में आसानी होती है। (देखें चित्र- A)
परंतु इसके विपरीत हँसिया के आकार के रक्तकण एक तो पर्याप्त मात्रा में प्राणवायु ( Oxygen ) सोखने की क्षमता नहीं रखते और साथ ही अपने नुकीले और टेढ़े आकार के कारण वे धमनियों के सँकरे मोड़ों पर फ़ंस जाते हैं और रक्तप्रवाह में रुकावट डाल देते हैं (देखें चित्र- B)। इसके परिणाम स्वरूप शरीर के विशिष्ठ अंगों को पर्याप्त मात्रा में रक्त (blood) और प्राणवायु (Oxygen) नहीं मिल पाती और वे बीमार हो जाते हैं। यही एनीमिया (Anemia) की स्तिथि होती है।
हँसिया सैल एनिमीया (Sickle Cell Anemia)
आम एनिमीया की बीमारी में रोगी के रक्त में लाल रक्तकण कम हो जाते हैं। हंसिया सैल एनिमीया (Sickle Cell Anemia) में रक्तकणों की उतनी ही मात्रा के बावजूद, रक्त कोशिकाओं (blood cells) के सिकुड़े और पतले आकार के कारण, रक्त पर्याप्त मात्रा में प्राणवायु (Sickle Cell Anemia) नहीं सोख पाता पाता है। साथ ही जहाँ स्वाभाविक रक्तकण बोनमैरो (bone marrow) में पैदा होने के बाद 120 दिनों तक जीवित रहकर नष्ट होते हैं वहीं हँसिया सैल (sickle cells) का जीवन केवल 10 से 20 दिनों का ही होता है।
हँसिया सैल एनिमीया (Sickle Cell Anemia) एक अनुवांशिक रोग है जो माता-पिता से उनकी संतान को मिलता है। यह रोग जीवन पर्यन्त चलता है क्योंकि खून में वैसे ही रक्तकण अस्वाभाविक आकार के और कम सख्या में होते हैं और ऊपर से उनका जीवन भी 120 दिनों के स्थान पर 10-20 दिनों का ही होता है। बोनमैरो द्वारा रक्तकणों का उत्पादन भी एक सीमा से अधिक नहीं हो पाता. परिणाम स्वरूप रोगी के शरीर में रक्तकोशिकाओं की कमी हमेशा बनी रहती है; नतीजतन, एनिमीया का रोग भी बना रहता है।
देखभाल और इलाज:
सिकल सैल एनिमीया (Sickle Cell Anemia) का कोई सीधा-सीधा कारगर इलाज नहीं है; हालाँकि रोग के लक्षणों (symptoms) के आधार पर डाक्टर मरीज़ का इलाज करता है और उसकी तकलीफ़ों को कम कर सकता है। बोनमैरो ट्रांससप्लंट (bone-marrow transplant) के द्वारा हँसिया सेल वाला रक्त उत्पादन करने वाले बोन-मेरो के स्थान पर स्वस्थ बोनमैरो का प्रतिरोपण किया जाता है ताकि शरीर में स्वस्थ रक्तकणों का उत्पादन आरंभ हो। स्वास्थ्य विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति के परिणाम स्वरूप चिकित्सक की देख-रेख मे रोगी की तकलीफ़ें कम की जा सकती हैं और उसका जीवन अधिक सुविधाजनक और आराम्दायक बनाया जा सकता है। आधुनिक जगत में उच्चकोटि की चिकित्सा सुविधाओं की सहायता से प्रभावित व्यक्ति के लिए सुखदायी और लंबा जीवन जीना संभव हो गया है।
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Read more about Sickle Cell disease:
- Health: 8 Foods for keeping Sickle Cell Patients healthy: http://www.discovery-of-life.com/2012/07/health-8-foods-for-keeping-sickle-cell.html
- Sickle Cell Anemia: Disease, Reasons, precautions and care: http://www.discovery-of-life.com/2012/07/sickle-cell-anemia-disease-reasons.html
- Crazy ideas: Better Respiratory Conditions for Sufferers of Sickle Cell Disease: http://www.discovery-of-life.com/2012/07/crazy-ideas-better-respiratory.html
Disclaimer:
This article is written based on my personal observations and on the information collected from the media. My intention for publishing the same is to provide healthy reading and intellectual entertainment and not for educating the visitors. No literature or authentic books have been referred for writing the contents of this article. The visitors are advised not to refer the contents of this article for any research or testimony on athletic or legal purposes. The visitors are further advised to consult relevant experts before adapting any information from this article. The author or the website are not responsible for any errors, mistakes, or omissions there in.
- Harish Jharia
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