Harish Jharia

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14 September 2011

Hindi Divas: हिंदी दिवस: आज भी राष्ट्रभाषा को उसका सही स्थान क्यों नहीं मिला?

Ashburn, Virginia, USA




© हरीश झारिया


14 सितंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने हिन्दी को राजभाषा के बतौर स्वीकार किया था। 1950 में भारतीय सविधान ने देवनागरी लिपि में हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकृति पर अंतिम मुहर लगा दी। हिंदी जिसे हिंदुस्तानी भी कहा जाता है भारत के हर क्षेत्र में आपसी बोलचाल के लिए प्रयुक्त होती है अंतरराष्ट्रीय आँकड़ों के अनुसार हिन्दी विश्व में दूसरी सबसे अधिक बोली जानेवाली भाषा है।


हिंदी मातृभाषा के बतौर भारत के उत्तरीय और मध्यवर्ती राज्यों में बोली जाती है। यहाँ इस तत्थ्य का ज़िक्र करना आवश्यक है कि भारत में राज्यों का गठन भाषाई आधार पर किया गया है। इसका नतीजा यह हुआ कि हिंदी उत्तर भारत की भाषा मानी जाने लगी। ऐसे राज्य जिन्हें हिंदी भाषी कहा जाता है वे हैं- हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरयाणा, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़।


भारत की राजनीति में जाति, धर्म, नस्ल और क्षेत्रीयता की तरह भाषा भी एक बड़ी प्रभावशाली इकाई है जिसके आधार पर राजनीतिज्ञ कूटनीतिक चालें चला करते हैं। यही कारण है कि हिंदी को कानूनी रूप से राजभाषा का दर्ज़ा मिलने के 61 साल के बाद भी उपर्युक्त 10 राज्यों के अलावा शेष राज्यों में आज भी हिंदी को राजभाषा का दर्ज़ा नहीं मिल पाया है। अन्य क्षेत्रीय भाषाभाषी राज्यों में वैसे भी राज्य सरकारों के दफ़्तरों में क्षेत्रीय भाषा में ही कार्य किया जाता है। परंतु वहाँ के राजनीतिज्ञ राष्ट्रीयकृत बैंकों और केंद्रीय कार्यालयों में भी हिंदी में कार्य नहीं होने देते। कई राजनैतिक दलों ने तो राज्यों में हिंदी विरोध के आधार पर ही चुनाव जीत लिये। भाषाई आधार पर राज्यों के गठन का यह भी एक दुष्परिणाम है।


हिंदी के प्रचार और प्रसार में एक बड़ी अड़चन हिंदी समर्थकों ने ही खड़ी कर दी थी। हिन्दी समर्थक और हिंदी के प्रचारकों ने हिंदी का ऐसा रूप लोगों के सामने इस्तेमाल के लिए पेश किया जो आम आदमी की समझ से दूर था। वह ऐसी हिंदी थी जिसमें संस्कृत ही संस्कृत भरी हुई थी। 70 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित अंग्रेज़ी समाचार लोगों की समझ में आजाया करते थे, जबकि, हिन्दी समाचार सर के ऊपर से निकल जाया करते थे। प्रिंट मीडिया में भी कहानियाँ, समाचार, और लेख सस्कृत शब्दों से भरे कठिन भाषा में लिखे और प्रकाशित किये जाते थे। मैंने ऐसे कई नाटक और फ़िल्में देखीं हैं जिनमें हास्य कलाकार कठिन हिन्दी का मखौल उड़ाया करते थे। 


आज भी ऐसी फ़िल्मों की कमी नहीं है जिनमें हिन्दी को लेकर ऊल जलूल कटाक्ष किये जाते हैं। हाल ही (2011) में एक फ़िल्म “स्टेनली का डब्बा” आई थी जिसमें कठिन हिंदी बोलने वाले एक हिन्दी शिक्षक को चोर, चटोरा और घटिया दर्ज़े का व्यक्ति दर्शाया गया था।


                              सलमान खुर्शीद 


बड़े-बड़े राजनेता, फ़िल्म स्टार, क्रिकेट खिलाड़ी और अन्य बड़ी हस्तियों के चरित्र और बोलचाल आम आदमी की सोच पर गहरा प्रभाव डालते हैं। वे जैसा व्यवहार करते हैं आम आदमी भी वौसा ही व्यवहार करने लगता है, या कम से कम उनसे मिलती जुलती बातें तो करने ही लगता है। ऐसे में अगर ये बड़ी हस्तियाँ एक्सेंटेड अंग्रेज़ी में फ़र्राटे से गुफ़्तगू करती हैं तो आम आदमी, विशेषकर युवक- युवतियाँ हिंदी बोलने में हीनता का अनुभव करने लगते हैं।


                                 अमिताभ बच्चन


अगर सभी बड़ी हस्तियाँ केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की तरह हिंदी में बयान देने लगें तो आम आदमी को भी लगने लगेगा कि हिंदी मे बोलना पिछड़ेपन की निशानी नहीं है और इससे हिंदी के प्रचार-प्रसार में बहुत सहायता मिलेगी। 


                                कटरीना कैफ़


फ़िल्म स्टार कटरीना कैफ़ ने हिंदी सिनेमा से खूब नाम और धन कमाया लेकिन जब मीडिया पर बयान या इंटरव्यू देने की बारी आती है तो वे हिंदी को भूल जाया करती हैं और ब्रिटिश एक्सेंट में अंग्रेज़ी का ही इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में उनके फ़ैन किस भाषा में बोलने के लिए प्रेरित होंगे यह तो हम सब आसानी से समझ सकते हैं।


हिंदी के प्रभावशाली प्रचार-प्रसार के लिए हमें आजतक के अनुभवों के आधार पर कुछ सावधानियाँ बरतनी होंगी और ईमानदारी से प्रभावी कदम उठाने होंगे ताकि हिंदी को राजभाषा का दर्ज़ा दिलाया जा सके। कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:
  1. हिंदी आम बोलचाल की भाषा में लिखी और बोली जाना चाहिए
  2. प्रचार-प्रसार में ऐसा नहीं लगना चाहिए कि थोपी जा रही है
  3. ऐसा नहीं लगना चाहिए कि यह केवल विद्वानों की भाषा है
  4. सभी बड़े आदमी हिंदी में बयान दें और बात करें
  5. हिंदी भाषी लोग घर में हिन्दी में ही बात करें
  6. विदेशों में रहने वाले भारतीय अपने बच्चों से हिंदी में बात करें
  7. काल सेंटर द्वारा लोगों से हिंदी में ही वार्तालाप किया जाय
  8. अभिवादन के लिए ‘नमस्कार’ या 'नमस्ते' बोला जाय 
  9. हिंदी को अपनाने का अर्थ यह नहीं लगाना चाहिए कि अंग्रेज़ी का विरोध करना है
  10. हिंदी के प्रचार के साथ यह ध्यान रखना होगा कि हर भारतीय भाषा का सम्मान किया जाय
  11. अहिन्दीभाषी प्रदेशों में प्रदेश सरकार का काम क्षेत्रीय भाषा में और केंद्रीय कर्यालयों का काम हिंदी में करने की सुविधा और अनुमति होना चाहिए
  12. पूरे देश मे हिंदी टाइप करने और प्रयोग करने के लिए कम्प्यूटर साफ़्टवेयर मुफ़्त में उपलब्ध किया जाना चाहिए
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npad

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